धन प्राप्तीसाठी करा ‘या’ चालिसाचे पठण, कुबेर होईल प्रसन्न

| Updated on: Nov 30, 2024 | 8:30 AM

शास्त्रानुसार धन प्राप्तीसाठी देवी लक्ष्मीची आणि कुबेर यांची पूजा केल्याने पैशाच्या सर्व अडी-अडचणी दूर होतात, असं मानलं जातं. पण नेमकं काय करावं, याविषयी जाणून घेऊया.

धन प्राप्तीसाठी करा या चालिसाचे पठण, कुबेर होईल प्रसन्न
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Kuber Mantra For Attract Money : शास्त्रानुसार धन प्राप्तीसाठी देवी महालक्ष्मीची उपासना केली पाहिजे. त्यासोबतच धनाचे देवता कुबेर यांचीही पूजा केल्याने पैशाच्या सर्व अडचणी दूर होतील. धन आणि वैभव प्राप्तीसाठी शुक्रवारी लोक देवी लक्ष्मीची पूजा करतात. माता लक्ष्मी चंचल आहे, ती एका ठिकाणी स्थिर राहत नाही. यामुळे देवी लक्ष्मीसोबत गणेशाची स्थापना झाल्याचे दिसून येते.

लक्ष्मी मातेने गणेशाला आशीर्वाद दिला की, तो जिथे राहतो, तिथेही तो निवास करेल. जर तुम्हाला तुमची संपत्ती वाढवायची असेल आणि ती स्थिर ठेवायची असेल तर कुबेर देवाची पूजा करावी. भगवान शिवाच्या आशीर्वादाने कुबेर श्रीमंत झाला. शुक्रवारी कुबेर देवाची पूजा करणे शुभ मानले जाते. कुबेर हे देवतांचे कोषाध्यक्ष मानले जातात. यामुळे कुबेर देवाचा फोटो किंवा मूर्ती घरात ठेवावी. कुबेर देवाची कृपा प्राप्त झाली तर मनुष्याचे जीवन सुखी होण्यास मदत होते. कुबेर देव सुख-समृद्धी, धन प्राप्त करणारे देवता आहेत.

पुरी येथील केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठाचे ज्योतिषी डॉ. गणेश मिश्रा सांगतात की, कुबेराला प्रसन्न करण्यासाठी पूजेच्या वेळी श्री कुबेर चालीसाचे पठण करावे. याचा तुम्हाला फायदा होऊ शकतो. शिवभक्त कुबेर हा 9 धनाचा स्वामी आहे. दर महिन्याच्या तिसऱ्या दिवशी कुबेराची पूजा करावी. पूजेमध्ये कुबेरासाठी 13 दिवे प्रज्वलित करावेत.

कोथिंबीर, कमलागट्टा, अत्तर, सुपारी, लवंग, वेलची इत्यादी अर्पण केले जातात. कोथिंबीर पंजिरी, तांदळापासून बनवलेली खीर हा त्यांचा आवडता पदार्थ. पूजेनंतर आसनावर बसून श्री कुबेर चालीसाचे पठण करावे.

श्री कुबेर चालीसा

दोहा
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर॥
चौपाई
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी। धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी। पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी। सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी। सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं। युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं। भगत जनों के संकट टारैं॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता। पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता। विभीषण भगत आपके भ्राता॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया। घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया। अमृत पान करी अमर हुई काया॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में। देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में। बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं। त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं। गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं। ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं। यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं। देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं। यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं। पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं। वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥
कांधे धनुष हाथ में भाला। गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला। दूर दूर तक होए उजाला॥
कुबेर देव को जो मन में धारे। सदा विजय हो कभी न हारे।।
बिगड़े काम बन जाएं सारे। अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं। कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं। कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे। क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं। दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं। अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं। कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ा दें। कुबेर गिरे को पुन: उठा दें॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दें। कुबेर भूले को राह बता दें॥

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दें। भूखे की भूख कुबेर मिटा दें॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दें। दुखिया का दुख कुबेर छुटा दें॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दें। कारोबार को कुबेर बढ़ा दें॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दें। चोर ठगों से कुबेर बचा दें॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावैं। जो कुबेर को मन में ध्यावैं॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं। मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥
पाठ करे जो नित मन लाई। उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई। उसका जीवन चले सुखदाई॥
जो कुबेर का पाठ करावैं। उसका बेड़ा पार लगावैं॥
उजड़े घर को पुन: बसावैं। शत्रु को भी मित्र बनावैं॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई। सब सुख भोद पदार्थ पाई।।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई। मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥
दोहा
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर।।

(डिस्क्लेमर: वरील माहिती उपलब्ध स्रोतावरून देण्यात आलेली आहे. याच्या तथ्यांबद्दल आम्ही कुठलाही दावा करीत नाही, तसेच अंधश्रद्धेला दुजोरा देत नाही)